Bnss धारा ३७२ : जब यह प्रतीत हो कि अभियुक्त स्वस्थचित्त रहा है :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ३७२ :
जब यह प्रतीत हो कि अभियुक्त स्वस्थचित्त रहा है :
जब अभियुक्त जाँच या विचारण के समय स्वस्थचित्त प्रतीत होता है और मजिस्ट्रेट का अपने समक्ष दिए गए साक्ष्य से समाधान हो जाता है कि यह विश्वास करने का कारण है कि अभियुक्त ने ऐसा कार्य किया है, जो यदि वह स्वस्थचित्त होता तो अपराध होता और यह कि वह उस समय जब वह कार्य किया गया था चित्त विकृति के कारण उस कार्य का स्वरुप या यह जानने में असमर्थ था, कि यह दोषपूर्ण या विधि के प्रतिकूल है, तब मजिस्ट्रेट मामले में आगे कार्यवाही करेगा और यदि अभियुक्त का विचारण सेशन न्यायालय द्वारा किया जाना चाहिए तो उसे सेशन न्यायालय के समक्ष विचारण के लिए सुपुर्द करेगा ।

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