भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा ४४ :
घातक हमले के विरुद्ध निजी (प्राइवेट) प्रतिरक्षा का अधिकार जबकि निर्दोष व्यक्ती को अपहानि होने की जोखिम है :
जिस हमले से मृत्यु की आशंका युक्तियुक्त (सर्व मान्य) रुप से कारित होती है उसके विरुद्ध निजी (प्राइवेट) प्रतिरक्षा के अधिकार प्रयोग करने में यदि प्रतिरक्षक ऐसी स्थिती में हो कि किसी निर्दोष व्यक्ती की अपहानि की जोखिम के बिना वह उस अधिकार का प्रयोग कार्यसाधक रुप से न कर सकता हो तो उसके निजी (प्राइवेट) प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार वह जोखिम उठाने तक का है ।
दृष्टांत :
(क) पर एक भीड द्वारा आक्रमण किया जाता है, जो उसकी हत्या करने का प्रयत्न करती है । वह उस भीड पर गोली चलाए बिना प्राइवेट प्रतिरक्षा के अपने अधिकार का प्रयोग कार्यसाधक रुप से नहीं कर सकता, और वह भीड में मिले हुए छोट-छोटे शिशुओं की अपहानि करने की जोखिम उठाए बिना गोली नहीं चला सकता । यदि वह इस प्रकार गोली चलाने से उन शिशुओं में से किसी शिशु को अपहानि करे तो (क) कोई अपराध नहीं करता ।
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