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Arms act धारा ३ : अग्न्यायुधों और गोलाबारुद के अर्जन और कब्जे के लिए अनुज्ञप्ति :

आयुध अधिनियम १९५९
अध्याय २ :
आयुधों और गोलाबारुद का अर्जन, कब्जा, विनिर्माण, विक्रय, आयात, निर्यात और परिवहन :
धारा ३ :
अग्न्यायुधों और गोलाबारुद के अर्जन और कब्जे के लिए अनुज्ञप्ति :
१.(१) कोई भी व्यक्ति कोई अग्न्यायुध या गोलाबारुद तब तक न तो अर्जित करेगा, न अपने कब्जे में रखेगा और न लेकर चलेगा जब तक कि इस अधिनियम और तद्धीन बनाए गए नियमों के उपबंधों के अनुसार निकाली गई अनुज्ञप्ति इस निमित्त धारित न करता हो :
परन्तु कोई व्यक्ति स्वयं अनुज्ञप्ति धारित किए बिना किसी अग्न्यायुध या गोलाबारुद की मरम्मत के लिए या अनुज्ञप्ति के नवीकरण के लिए या ऐसी अनुज्ञप्ति के धारक द्वारा उपयोग में लाए जाने के लिए, उस अनुज्ञप्ति के धारक की उपस्थिति में या उसके लिखित प्राधिकार के अधीन, लेकर वहन कर सकेगा ।
२.(२) उपधारा (१) में किसी बात के होते हुए भी, कोई भी व्यक्ति, जो उपधारा (३) में निर्दिष्ट व्यक्ति से भिन्न है, किसी भी समय ३.(दो अग्न्यायुधों) से अधिक न तो अर्जित करेगा, न अपने कब्जे में रखेगा और न लेकर चलेगा :
४.(परंतु कोई व्यक्ति, जिसके कब्जे में आयुध (संशोधन) अधिनियम २०१९ के प्रारंभ पर दो से अधिक अग्नायुध है, अपने पास ऐसे अग्नायुधों में से कोई दो प्रतिधारित कर सकेगा और शेष अग्न्यायुध को ऐसे प्रारंभ से एक वर्ष के भीतर निकटतम पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी के पास या धारा २१ की उपधारा (१) के प्रयोजनों के लिए विहित शर्तो के अध्यधीन अनुज्ञप्तिधारी व्यौहारी के पास अथवा जहां ऐसा व्यक्ति संघ के सशस्त्र बलो का सदस्य है, वहां उस उपधारा में निर्दिष्ट किसी युनिट शस्त्रागार में निक्षिप्त करेगा, जिसके पश्चात् पूर्वोक्त एक वर्ष की अवधि के अवसान की तारीख से नब्बे दिन के भीतर उसकी अनुज्ञप्ति को रद्द कर दिया जाएगा :
परंतु यह और कि उत्तराधिकार या विरासत के आधार पर आयुध अनुज्ञप्ति अनुदत्त करते समय, दो अग्न्यायुध की सीमा को नहीं बढाया जाएगा ।)
३) उपधारा (२) की कोई भी बात अग्न्यायुधों के किसी व्यौहारी को या ऐसे राइफल क्लब या राइफल संगम के, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा अनुज्ञप्त या मान्यताप्राप्त है, और निशाना लगाने के अभ्यास के लिए २२ बोर राइफल या हवाई राइफल का प्रयोग करता है, किसी सदस्य को लागू नहीं होगी ।
४) धारा २१ की उपधारा (२) से उपधारा (६) तक की उपधाराओं के (जिनके अन्तर्गत ये दोनों उपधाराएं भी हैं) उपबन्ध, उपधारा (२) के परन्तुक के अधीन अग्न्यायुधों के किसी निक्षेप के संबंध में उसी प्रकार लागू होंगे जिस प्रकार वे उस धारा की उपधारा (२) के अधीन किसी आयुध या गोलाबारुद के निक्षेप के सम्बन्ध में लागू होते हैं ।)
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१. १९८३ के अधिनियम सं. २५ की धारा ३ द्वारा (२२-६-१९८३ से) धारा ३ को उसकी उपधारा (१) के रुप में पुन:संख्याकित किया गया ।
२. १९८३ के अधिनियम सं. २५ की धारा ३ द्वारा (२२-६-१९८३ से) अन्त:स्थापित ।
३. २०१९ का अधिनियम सं. ४८ की धारा ३ द्वारा (१४-१२-२०१९ से) (तीन अग्न्यायुधों) शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
४. २०१९ का अधिनियम सं. ४८ की धारा ३ द्वारा (१४-१२-२०१९ से) परंतुक (परन्तु ऐसा व्यक्ति जिसके अपने कब्जे में, आयुध (संशोधन) अधिनियम १९८३ के प्रारम्भ पर, तीन से अधिक अग्न्यायुध है, अपने पास ऐसे अग्न्यायुधों में से कोई तीन अग्न्यायुध प्रतिधारित कर सकेगा और शेष अग्न्यायुधों को, ऐसे प्रारम्भ से नब्बे दिन के भीतर, निकटतम पुलिस थाने के भारसाधक आफिसर के पास या धारा २१ की उपधार (१) के प्रयोजन के लिए विहित शर्तों के अधीन रहते हुए, किसी अनुज्ञप्त ब्यौहारी के पास अथवा जहां ऐसा व्यक्ति संघ के सशस्त्र बलों का सदस्य है वहां उस उपधारा में निर्दिष्ट किसी युनिट शस्त्रागार में निक्षिप्त करेगा ।) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।

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