Site icon Ajinkya Innovations

Arms act धारा ३३ : कम्पनियों द्वारा अपराध :

आयुध अधिनियम १९५९
धारा ३३ :
कम्पनियों द्वारा अपराध :
१) जब कभी भी इस अधिनियम के अधीनअपराध किसी कम्पनी द्वारा किया गया हो तब वह कम्पनी और साथ ही हर व्यक्ति, जो अपराध किए जाने के समय उस कम्पनी का भारसाधक था या उस कम्पनी के कारबार के संचालन के लिए कम्पनी के प्रति उत्तरदायी था उस अपराध के दोषी समझे जाएंगे और अपने विरुद्ध कार्यवाही की जाने और तद्नुसार दण्डित किए जाने के दायित्व के अधीन होंगे :
परन्तु यदि वह व्यक्ति यह साबित कर दे कि वह अपराध उसकी जानकारी के बिना किया गया था और ऐसे अपराध का किया जाना निवारित करने के लिए उसने समस्त तत्परता प्रयुक्त की थी तो इस उपधारा में अन्तर्विष्ट कोई बात ऐसे किसी व्यक्ति को इस अधिनियम के अधीन किसी दण्ड के दायित्व के अधीन नहीं बनाएगी ।
२) उपधारा (१) में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी जहां कि इस अधिनियम के अधीन अपराध किसी कम्पनी द्वारा किया गया हो और यह साबित कर दिया जाए कि वह अपराध उस कम्पनी के किसी निदेशक, प्रबंधक, सचिव या अन्य आफिसर की सम्मति या मौनानुकूलता से किया गया है या वह कम्पनी के किसी निदेशक, प्रबंधक, सचिव या अन्य आफिसर की किसी अपेक्षा के कारण हुआ माना जा सकता है वहां ऐसा निदेशक, प्रबंधक, सचिव या अन्य आफिसर भी उस अपराध का दोषी समझा जाएगा और अपने विरुद्ध कार्यवाही की जाने पर तद्नुसार दण्डित किए जाने के दायित्व के अधीन होगा ।
स्पष्टीकरण :
इस धारा के प्रयोजनों के लिए –
(a)क) कम्पनी से कोई भी निगमित निकाय अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत फर्म या व्यष्टियों का अन्य संगम आता है ; और
(b)ख) फर्म के संबंध में निदेशक से फर्म का भागीदार अभिप्रेत है ।

Exit mobile version