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Arms act धारा १८ : अपीलें :

आयुध अधिनियम १९५९
धारा १८ :
अपीलें :
१) अनुज्ञापन प्राधिकारी के अनुज्ञप्ति अनुदत्त करने से इन्कार करने वाले या अनुज्ञप्ति की शर्तों में फेरफार करने वाले आदेश से या अनुज्ञापन प्राधिकारी के या उस प्राधिकारी के, जिसके अधीनस्थ अनुज्ञापन प्राधिकारी है, अनुज्ञप्ति प्रतिसंऱ्हत करनेवाले आदेश से व्यथित कोई भी व्यक्ति ऐसे प्राधिकारी से (जिसे एतस्मिनपश्चात् अपील प्राधिकारी के रुप में निर्दिष्ट किया गया है) और ऐसी कालावधि के अन्दर जैसा या जैसी विहित किया जाए या विहित की जाए उस आदेश के विरुद्ध अपील कर सकेगा :
परन्तु सरकार द्वारा या उसके निदेशाधीन किए गए किसी भी आदेश के विरुद्ध कोई भी अपील न होगी ।
२) कोई भी अपील ग्रहण नहीं की जाएगी यदि वह उसके लिए विहित कालावधि के अवसान के पश्चात् की जाए :
परन्तु अपील उसके लिए विहित कालावधि के अवसान के पश्चात् ग्रहण की जा सकेगी, यदि अपीलार्थी अपील प्राधिकारी का समाधान कर दे कि उस कालावधि के अन्दर अपील न करने के लिए उसके पास पर्याप्त हेतुक था ।
३) अपील के लिए विहित कालावधि की संगणना १.(इण्डियन लिमिटेशन ऐक्ट १९०८ (१९०८ का ९)) के उन उपबंधों के अनुसार की जाएगी जो उसके अधीन परिसीमाकाल की संगणना के लिए है ।
४) इस धारा के अधीन हर अपील लिखित अर्जी द्वारा की जाएगी और जहां कि उस आदेश का जिसके विरुद्ध अपील की गई है कारणों का कथन अपीलार्थी को दिया गया है वहां उनका संक्षिप्त विवरण और ऐसी फीस, जो विहित की जाए, उसके साथ होंगे ।
५) अपील निपटाने में अपील प्राधिकारी ऐसी प्रक्रिया का अनुसरण करेगा, जैसी विहित की जाए :
परन्तु कोई भी अपील तब तक नहीं निपटाई जाएगी जब तक अपीलार्थी को सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर न दे दिया गया हो ।
६) जिस आदेश के विरुद्ध अपील की गई है, वह उसदशा के सिवाय, जिसमें अपील प्राधिकारी सशर्त या अशर्त अन्यथा निदेश दे तब तक प्रवृत्त रहेगा जब तक ऐसे आदेश के विरुद्ध अपील का निपटाया जाना लम्बित रहता है ।
७) जिस आदेश के खिलाफ अपील की गई है, उसको पुष्ट करने वाला, उपान्तरित करने वाला या उलटने वाला अपील प्राधिकारी का हर आदेश अन्तिम होगा ।
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१. अब देखिए परिसीमा अधिनियम १९६३ (१९६३ का ३६) ।

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