विदेशियों विषयक अधिनियम १९४६
धारा ६ :
जलयान आदि के मास्टरों की बाध्यताएं :
१) १.(भारत) में किसी पत्तन पर समुद्र से उस पत्तन को आने वाले या उससे जाने वाले यात्रियों को उस पत्तन पर उतारने या चढ़ाने वाले जलयान का मास्टर और १.(भारत) में किसी स्थान से वायु से उस स्थान को आने वाले या जाने वाले यात्रियों को उस स्थान पर उतारने या चढ़ाने वाले वायुयान का चालक ऐसे व्यक्ति को और ऐसी रीति से जो विहित की जाए एक विवरणी देगा जिसमें ऐसे यात्रियों या कर्मीदल के सदस्यों के संबंध में जो विदेशी हों, विहित विशिष्टियां होंगी।
२) कोई जिला मजिस्ट्रेट या पुलिस आयुक्त या जहां पर पुलिस आयुक्त नहीं है वहां पुलिस अधीक्षक इस अधिनियम या तद्धीन बनाए गए आदेश के प्रवर्तन से संबंधित प्रयोजनार्थ ऐसे किसी जलयान के मास्टर या ऐसे किसी वायुयान के चालक से अपेक्षा कर सकता है कि वह, यथास्थिति, ऐसे जलयान या वायुयान पर यात्रियों या कर्मीदल के सदस्यों के संबंध में ऐसी सूचना दे जो विहित की जाए।
३) ऐसे जलयान या ऐसे वायुयान पर कोई यात्री और ऐसे जलयान या वायुयान के कर्मीदल का कोई सदस्य, यथास्थिति, जलयान के मास्टर और वायुयान के चालक को उपधारा (१) में निर्दिष्ट विवरणी देने के प्रयोजन से या उपधारा (२) में अपेक्षित सूचना देने के लिए ऐसी सूचना जो उसके द्वारा अपेक्षित है, देगा।
२.(४) यदि कोई विदेशी इस अधिनियम या तद्धीन बनाए गए आदेश के किसी उपबंध के उल्लंघन में भारत में प्रवेश करता है, तो विहित प्राधिकारी ऐसे प्रवेश की तारीख से दो माह के भीतर ऐसे जलयान के मास्टर या वायुयान चालक को जिस पर ऐसी प्रविष्टि की गई थी या ऐसे जलयान या वायुयान के स्वामी या स्वामी के अभिकर्ता को, उक्त प्राधिकारी के समाधानपर्यन्त और सरकार के व्यय से अन्यथा, किसी जलयान या वायुयान पर भारत से उक्त विदेशी को हटाने के प्रयोजनार्थ स्थान देने के लिए निदेश दे सकता है ।
५) किसी जलयान का मास्टर या किसी वायुयान का चालक जो भारत में किसी पत्तन या स्थान से भारत से बाहर किसी गन्तव्य स्थान पर यात्रियों को ले जाने वाला है या किसी ऐसे जलयान या वायुयान का स्वामी या ऐसे स्वामी का अभिकर्ता यदि उसे केन्द्रीय सरकार द्वारा ऐसे निर्दिष्ट किया जाता है, और वर्तमान दरों पर उसके लिए संदाय किया जाता है तो भारत के बाहर ऐसे पत्तन या स्थान के लिए जैसा केन्द्रीय सरकार विनिर्दिष्ट करे धारा ३ के अधीन भारत में न रहने के लिए आदिष्ट किसी विदेशी और उसके साथ यात्रा कर रहे ऐसे आश्रितों के लिए, यदि कोई हो, उस जलयान या वायुयान पर ऐसे पत्तन या स्थान के लिए स्थान की व्यवस्था करेगा जो ऐसा पत्तन या स्थान है जहां वह जलयान या वायुयान जाना है।)
२.(६)) इस धारा के प्रयोजनो के लिए-
(a)क) जलयान के मास्टर और किसी वायुयान के चालक के अन्तर्गत, यथास्थिति, ऐसे मास्टर या चालक द्वारा, उसकी ओर से इस धारा द्वारा उस पर अधिरोपित कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए, प्राधिकृत कोई व्यक्ति भी है;
(b)ख) यात्री से ऐसा यात्री अभिप्रेत है जो ऐसे कर्मीदल का वास्तविक सदस्य नहीं है और जो किसी जलयान या वायुयान पर यात्रा कर रहा है या यात्रा करना चाहता है ।
———
१. १९४७ के अधिनियम सं० ३८ की धारा २ द्वारा ब्रिटिश भारत के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२. १९४७ के अधिनियम सं० ३८ की धारा ५ द्वारा उपधारा (४) और उपधारा (५) अन्त:स्थापित की गई और मूल उपधारा (४) को उपधारा (६) के रुप में पुन:संख्यांकित किया गया।
