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धारा १ : संक्षिप्त नाम और विस्तार :

विदेशियों विषयक अधिनियम १९४६
१.(१९४६ का अधिनियम संख्यांक ३१)
विदेशियों के सम्बन्ध में केन्द्रीय सरकार को कतिपय शक्तियां प्रदान करने के लिए अधिनियम
भारत में विदेशियों का प्रवेश, उसमें उनकी उपस्थिति और उनके उससे प्रस्थान के संबंध में केन्द्रीय सरकार द्वारा कतिपय शक्तियों का प्रयोग करने के लिए उपबंध करना समीचीन है;
अत: एतद्द्वारा निम्नलिखित रुप में यह अधिनियमित किया जाता है :-
धारा १ :
संक्षिप्त नाम और विस्तार :
१) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम विदेशियों विषयक अधिनियम १९४६ है ।
२) इसका विस्तार संपूर्ण २.(भारत) पर है ३.(***)।
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१. इस अधिनियम का-
१९६२ के विनियम संख्यांक १२ की धारा ३ और अनुसूची द्वारा उपांतरणों सहित, गोवा, दमन और दीव पर; अधिसूचना संख्यांक सा.का.नि. १५५७, तारीख २४-११-१९६२, भारत का राजपत्र, भाग २, अनुभाग २(एक) पृ. १८८६ द्वारा उपांतरणों सहित पांडिचेरी पर विस्तार किया गया, और यह अधिनियम, १९६३ के विनियम संख्यांक ६ की धारा २ और अनुसूची १ द्वारा दादरा और नागर हवेली पर; १९६५ के विनियम संख्यांक ८ की धारा ३ और अनुसूची द्वारा (१-१०-१९६७से) लक्षद्वीप, मिनिकाय और अमीनदीवी द्वीप पर और अधिसूचना संख्यांक सा.का.नि. ४१(अ), तारीख २७-१-१९७६ द्वारा (१-२-१९७६ से) सिक्किम राज्य पर प्रवृत्त किया गया।
२) १९४७ के अधिनियम सं० ३८ की धारा २ द्वारा ब्रिटिश भारत के स्थान पर प्रतिस्थापित।
३) हैदराबाद राज्य के सिवाय शब्दों का विधि अनुकूलन आदेश, १९५० द्वारा अन्त:स्थापित किए थे, १९५१ के अधिनियम सं० ३ की धारा ३ तथा अनुसूची द्वारा लोप किया गया।

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